Thursday 22 December 2011

ऐसा होगा सरकार का लोकपाल


नई दिल्ली. लोकपाल के 60 से ज्यादा संशोधनों वाले नए मसौदे को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। मंगलवार को इस फैसले के साथ ही अन्ना हजारे और सरकार के बीच नए महाभारत की पटकथा भी लिख दी गई। अन्ना की मांग को दरकिनार करते हुए सरकार ने लोकपाल के दायरे से सीबीआई को बाहर कर दिया। लेकिन कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री को इसके दायरे में रख लिया गया है।
ग्रुप सी कर्मचारियों को लोकपाल के बजाए सीवीसी के तहत कर दिया गया है। इससे पहले सरकार ने लोकसभा में सिटीजन चार्टर बिल पेश कर दिया। लोकपाल बिल पर सरकारी कवायद से निराश अन्ना हजारे ने कहा है कि 27 दिसंबर से तीन दिन तक वे अनशन करेंगे।
उसके बाद तीन दिन तक जेल भरो आंदोलन होगा।
उन्होंने सिटीजन चार्टर बिल को जनलोकपाल से अलग कर पेश करने का भी विरोध किया है। इस बीच, संसद का शीतकालीन सत्र बढ़ेगा या नहीं इस पर अनिश्चितता कायम है। सरकार का मंगलवार सुबह लिया गया फैसला शाम होते-होते पलट गया। बुधवार को तय होगा कि सत्र की अवधि बढ़ेगी या नहीं।
पीएम अंदर, ग्रुप सी-सीबीआई बाहर
विधेयक के मसौदे के मुताबिक, लोकपाल संवैधानिक संस्था होगी। सीबीआई लोकपाल के दायरे से पूरी तरह बाहर और पीएम कुछ शर्तो के साथ इसके दायरे में आएंगे। ग्रुप सी को लोकपाल के बजाय सीवीसी के दायरे में रख दिया गया है। टीम अन्ना इसे लोकपाल के दायरे में लाने की मांग कर रही है। अन्ना आंदोलन की इस प्रमुख मांग पर सरकार सहमत नहीं हुई कि सीबीआई को पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण से बाहर करके स्वायत्तता दी जाए।
60 संशोधनों के साथ मंजूर मसौदे के मुताबिक सीबीआई निदेशक की नियुक्ति तीन सदस्यों की एक समिति करेगी। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश होने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि लोकपाल में नौ सदस्यों का एक पैनल होगा। इसका चेयरमैन चार सदस्यीय समिति चुनेगी। समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित जज शामिल होंगे। लोकपाल का सीबीआई पर कोई नियंत्रण नहीं होगा। लोकपाल के तहत सीबीआई का अलग से कोई अभियोजन निदेशालय भी नहीं होगा।
प्रधानमंत्री को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, आंतरिक व वाह्य सुरक्षा से जुड़े मामलों व सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मामलों को छोड़कर लोकपाल के दायरे में रखा जाएगा। प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी शिकायत या जांच लोकपाल की पूर्ण पीठ द्वारा ही संज्ञान में ली जाएगी। इसके लिए कम से कम तीन चौथाई सदस्यों की सहमति जरूरी होगी। शिकायत की सुनवाई कैमरे के सामने होगी। अगर शिकायत रद्द कर दी जाती है तो इसकी रिकार्डिग को पब्लिक नहीं किया जाना चाहिए।
संगठन : संवैधानिक दर्जे वाले लोकपाल की बेंच में नौ सदस्य होंगे। पांच साल का होगा कार्यकाल। आधे न्यायिक पृष्ठभूमि के होंगे। बेंच और सर्च कमेटी में  एससी/एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस, पूर्व जज अथवा प्रतिष्ठित व्यक्ति ही बन सकेंगे चेयरमैन। सौ सांसदों की सामूहिक शिकायत पर महाभियोग चलाया जा सकेगा।
चयन समिति : अध्यक्ष का चुनाव प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष का नेता, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या उसकी ओर से नामित सुप्रीम कोर्ट जज की चार सदस्यीय समिति करेगी। 
प्रधानमंत्री : लोकपाल के दायरे में तो होगा लेकिन शर्तो के साथ। अंतरराष्ट्रीय संबंधों, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को जांच के दायरे से बाहर रखा गया है। प्रधानमंत्री के खिलाफ किसी भी शिकायत पर जांच का फैसला पूरी बेंच करेगी। उसमें से तीन-चौथाई की सहमति जरूरी होगी। जांच कैमरे की निगरानी में होगी। यदि शिकायत को निरस्त किया जाता है तो उसका रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं होगा। 
सीबीआई : नहीं रहेगी लोकपाल के नियंत्रण में। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया बदलेगी। प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज की कमेटी करेगी चुनाव। एसपी और उससे ऊपर के अधिकारियों का चुनाव सीवीसी, सतर्कता आयुक्तों, गृह सचिव और कार्मिक व प्रशिक्षण मामलों के विभाग के सचिव की समिति करेगी।
अफसरशाही: ए और बी समूह के कर्मचारियों के खिलाफ जांच करेगा। सी समूह के कर्मचारियों को सीवीसी के दायरे में रखा, जो लोकपाल को रिपोर्ट करेगा।  जांच प्रक्रिया: खुद नहीं शुरू कर सकेगा किसी मामले की जांच। शिकायत आने पर ही शुरू होगी कार्रवाई। प्रारंभिक जांच लोकपाल के जांच विभाग के डायरेक्टर के नेतृत्व में होगी। डायरेक्टर के अधीन अभियोजन शाखा होगी। सीबीआई से भी प्रारंभिक जांच करवा सकेगा। 90 दिन में पूरी करनी होगी। जांच की देख-रेख लोकपाल करेगा।
जांच के बाद: सीबीआई से मिली जांच रिपोर्ट को लोकपाल के कम से कम तीन सदस्य देखेंगे। चार्जशीट दाखिल करने या मामला खत्म करने या विभागीय जांच कराने की सिफारिश पर फैसला करेंगे। चार्जशीट दाखिल हुई तो लोकपाल की अभियोजन शाखा विशेष कोर्ट में कार्यवाही आगे बढ़ाएगी। अभियोजन के लिए किसी की मंजूरी नहीं लगेगी।

                                                                        bhaskar.com

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