Saturday 10 December 2011

कैसे सुधरेंगे हालात?

उत्तर प्रदेश की तमाम जात बिरादियों का वोट चुनाव से पहले तय हो चुका है। किसका वोट किस को पड़ेगा ये बात सब जानते हैं। दलित वोटों में से नौ फीसदी हरिजन वोट मायावती की बसपा को पड़ेगा। इनमें से बाकी दस फीसदी बिरादियों का कुछ हिस्से के वोट का बंटवारा होगा। जैसे बाल्मीकियों और खटीक बिरादरी का वोट बसपा, कांग्रेस, भाजपा और कुछ कल्याण सिंह की तरफ जाएगा। 20 फीसदी ऊंची जाति के वोटों में से वैष्यों का वोट भाजपा को, पंडित और क्षत्रियों का वोट भाजपा ओर कांग्रेस को पड़ना तय है। प्रदेश के 28 लाख लोध बिरादरी का वोट कल्याण सिंह के साथ जाएगा। नौ फीसदी यादवों का वोट मुलायम सिंह को पड़ना तय है। सैनी बिरादरी का वोट हाल ही में बने महान दल को थोक में पड़ना तय है। कुल मिलाकर हर बिरादरी का वोट तय है। अगर तय नहीं है तो 21 फीसदी मुसलमान का वोट तय नहीं है। मौजूदा हालात में ये वोट कांग्रेस, सपा, बसपा, मुस्लिम लीग, पीस पार्टी और उलेमा कोंसिल के बीच बंट रहा है। इसके अलावा कुछ छोटे मुस्लिम दलों को भी बंटेगा। दरअसल 65 बरस में मुस्लिम रहनुमा मुसलमानों को वोट की अहमियत नहीं समझा सके। ये नहीं बता पाए कि लोकतंत्र में वोट ही मायने रखना है। और कुछ नहीं। वोट के दम पर सरकारें बनाई और बिगाड़ी जा सकती हैं। इस वोट के दम पर हालात संवारे जा सकते हैं। सदियों से दबी कुचली क़ौम दलितों को अपने वोट का अहसास हो गया और उन्होंने वोट के दम पर अपने हालात बदल लिए। लेकिन हमारे रहबर सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के जुगाड़ में लगे रहे। और इस क़ौम को वोट के मायने नहीं समझा पाए। यदि मुसलमान वोट की अहमियत जानता तो इसके वोट की बंदर बांट नहीं होती। जब अलग-अलग थालियों में बिखरा है ये वोट तो फिर मुसलमान के हालात कैसे बदल सकते हैं। मैं कह रहा हूं कि 2012 का चुनाव मुसलमानों के लिए बहुत अहम है। इस बार अपने वोट को कतई बर्बाद न करें। इस मुल्क में सब को लोकतंत्र यानि जमहूरियत के मायने समझ में आ गए लेकिन मुसलमान को नहीं। उत्तर प्रदेश में सब लोगों का वोट फिक्स है। किस का वोट किस पार्टी को पड़ेगा सब तय हो चुका है। लेकिन इस पौने चार करोड़ की आबादी रखने वाले मुसलमान का वोट कटोरों में बंटेगा। और जब तक वोट बंटेगा तब तक इसके हालात बद से बदतर होते जाएंगे। अंजाम खुद भुगतेगा नहीं तो नस्लें भुगतेंगी।

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