Friday 18 November 2011

मुसलमान के हालात बद से बदतर क्यों होते जा रहे हैं....उसके लिए ये खुद ज़िम्मेदार है।

206 की जनगणना के आधार पर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 21 फीसदी...क़रीब पौने चार करोड़, हरिजन एक करोड़ 65 लाख। उसने राज्य में अपनी सरकार बना ली. इस बिरादरी के हालत सुधर गए। मुसलमान के हालात किसने बिगाड़े। खुद ने। एक करोड़ 65 लाख वाले यादव को इसने 20 राज कराया...क्यो. क्या ये खुद की सरकार बनाने में सक्षम नहीं था। था.....लेकिन शऊर खो चुका है...मायावती से बहुत कुछ सबक़ ले सकता था....नहीं लिया...सही दिशा में वक्त और ध्यान नहीं लगाया। नुक्ताचीनी से फुरसत नहीं। जो इसके भले में काम करना शुरू कर देता है...उसको किसी न किसी का दलाल कहने लगता है। बहुत सारे पढ़े लिखे मुस्लिमों नौजवानों ने आरोप लगने पर घर बैठना ज़्यादा बेहतर समझा। उत्तर प्रदेश की बात छोड़ो मैं पूरे देश की बात करता हूं। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11 करोड़ वोट मिले। इन 11 करोड़ वोटों के दम पर उसने केंद्र में सरकार बनाई। भाजपा को साढ़े आठ करोड़ वोट मिले। वो देश की मुख्य विपक्षी पार्टी है। मुल्क में इसकी संख्या 20 करोड़ से अधिक है। क्या मुसलमान 12 या 13 करोड़ वोट एक जगह नहीं डाल सकता। यदि ऐसा कर ले तो इस देश में मुसलमान अपने हालात खुद सुधार सकता है। किसी से भीख मांगेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। मुसलमों को ये जानना ज़रूरी है कि उसका वोट किसी दूसरे के वोट से कम ताकत नहीं रखता है। मुलायम, लालू, सोनिया राहुल या फिर किसी और नेता का वोट उतनी ही ताक़त रखता है जितना किसी साधारण मुसलमान का वोट। यहां लोकतंत्र है। वोट के दम पर ही फैसले होते हैं। वोट ही हालात बनाता और बिगाड़ता है।

No comments:

Post a Comment